हिमाचल और कश्मीर के सेब पर जलवायु परिवर्तन की मार, 30 फीसदी तक घट सकता है उत्पादन

हिमाचल और कश्मीर के सेब पर जलवायु परिवर्तन की मार, 30 फीसदी तक घट सकता है उत्पादन

जलवायु परिवर्तन के कारण हिमाचल व कश्मीर घाटी में इस बार मधुमक्खियां सेब के फूलों का परागण नहीं कर पाईं। बेमौसम बारिश और ठंड से मधुमक्खियां मर रही हैं। माना जा रहा है कि इससे इस साल हिमाचल प्रदेश और कश्मीर घाटी में सेब का उत्पादन क्रमशः 30 फीसदी व 25 फीसदी घट सकता है। इससे उत्पादक किसानों वविक्रेताओं की माली हालत पर बुरा असर पड़ेगा।

व्यापारियों के अनुसार, सेब की खेती से हिमाचल में सालाना 5,000 करोड़ का कारोबार होता है। कश्मीर में यह आंकड़ा 8,000-10,000 करोड़ रुपये है। यह राज्य के कुल जीडीपी का करीब 10 फीसदी है।

फसल में एक माह की देरी  विशेषज्ञों ने कहा, जलवायु परिवर्तन किसानों और बागवानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। इस बार इनकी फसल में करीब एक महीने की देरी हुई। परागण नहीं होने से सेब उत्पादन 30-35 फीसदी घट सकता है।

परागण से 12 गुना तक बढ़ जाती है उपज
विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन पूरे हिमाचल और कश्मीर घाटी में मधुमक्खियों की मौत का कारण बन रहा है। मधुमक्खियां फूलों से प्राप्त अमृत और पराग से अपना पेट भरती हैं। ऐसा करने के लिए मधुमक्खियों को फूलों के मादा और नर हिस्से में जाना पड़ता है। इनके शरीर पर बाल होते हैं, इसलिए पराग-अमृत इनके बालों से चिपक जाते हैं और नर से मादा भाग तक पहुंच जाते हैं।

एक अनुमान के अनुसार, मधुमक्खी परागण से फसल की उपज को 10-12 गुना तक बढ़ाना संभव है। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के अध्ययन से पता चलता है कि मधुमक्खियों के परागण से सेब उत्पादन में 44 फीसदी वृद्धि हुई है।

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